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सोशल होना और समाज सेवा करना हर किसी के बस की बात नहीं

।। कड़वी लेकिन सच्ची बातें ।।
।। सोशल होना और समाज सेवा करना हर किसी के बस की बात नहीं ।।

समाज में कुछ के पास संसाधन नहीं तो ठीक है,
लेकिन कुछ लोगो के पास जिगर नहीं ??
संसाधन धन दौलत तो होती है लेकिन अगर कुछ करने की इच्छा नहीं हो तो सब जीरो हो जाता है। कुछ के पास अच्छा बुरा पहचानने की क्षमता नहीं, वो बात को टालने हर किसी को फ्रोड कहने लगते हैं। कुछ को राजनीति की रैलियों में प्रचार प्रसार करके पैसा लेने वाली आदत हो जाती है। वो सोचते है कि समाज सेवक पैदा तो हो, लेकिन पडोसियों के घर में। अपनी जेब से निकालना उनकी आदत नहीं होती। जबकि ये तय है कि हम अपने साथ एक सुंई तक नहीं ले जाएंगे।

जबकि कुछ लोग ऐसे है जो तलाश कर योग्य की मदद करते हैं। बिना कहे मदद करना जिनका स्वभाव होता है। छोटा योगदान रोजाना करते रहते हैं। मदद किसी भी रुप में हो सकती है, किसी की पैसे से मदद हो सकती है, किसी की कुछ प्रयास कर देने से, किसी को भोजन कराने से मदद हो जाती है तो किसी को अपने पुराने कपड़े, जूते या घरेलू सामान दे देने से मदद की जा सकती है।
सामाजिक लोग खुद तय करते है कि उन्हें पहली केटेगरी में रहना है या दूसरी। आपके पास समय नहीं है तो आप एसे संगठन को मदद कर सकते है जो खुद इस काम मे लगा है। उनकी परख करो, उनसे बात करो, जानकारी लो, सही लगे तो जुडें। मान सम्मान तो मिलेगा ही,साथ ही दुआएं भी मिलेंगी।


नरेश कुमार शर्मा "दिल्ली नरेश"
ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स वेलफेयर काउंसिल
अनुभव आधारित अनुसंधान केन्द्र (अपंजीकृत)

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